By heygobind Date February 21, 2023

  • वैदिक पंचांग ~ 🌞
  • 🌤️ दिनांक - 22 फरवरी 2023
  • 🌤️ दिन - बुधवार
  • 🌤️ विक्रम संवत - 2079
  • 🌤️ शक संवत -1944
  • 🌤️ अयन - उत्तरायण
  • 🌤️ ऋतु - वसंत ॠतु
  • 🌤️ मास - फाल्गुन
  • 🌤️ पक्ष - शुक्ल
  • 🌤️ तिथि - तृतीया 23 फरवरी रात्रि 03:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी
  • 🌤️ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 23 फरवरी प्रातः 04:50 तक तत्पश्चात रेवती
  • 🌤️योग - साध्य रात्रि 11:47 तक तत्पश्चात शुभ
  • 🌤️ राहुकाल - दोपहर 12:52 से दोपहर 02:19 तक
  • 🌞 सूर्योदय- 07:05
  • 🌦️ सूर्यास्त - 18:38
  • 👉 दिशाशूल - उत्तर दिशा में
  • 🚩 *व्रत पर्व विवरण -
  • 🌷 वसंत ऋतु का संदेश 🌷 🍝 खान-पान का ध्यान विशेष-वसंत ऋतु का है संदेश ➡ 19 फरवरी से 19 अप्रैल तक वसंत ऋतु । 🍃 ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उल्टी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए | 🍝 आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफ वर्धक हैं | (अष्टांगहृदय ३.२६) 🍃 वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग , अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है | ➡ विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है | तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है | 🌷 वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग 🌷 🔶 २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से 'रसायन' के लाभ प्राप्त होते हैं | 🔶 १५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है | 🔶 अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है | 🔶 ५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है | 🔶 रीठे का छिलका पानी में पीसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है | 🔶 १० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है | 🔶 १० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है | 🔥 सावधानी : मुँह में कफ आने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें | कफ की तकलीफ में अंग्रेजी दवाइयाँ लेने से कफ सूख जाता है, जो भविष्य में टी.बी., दमा, कैंसर जैसे गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकता है | अतः कफ बढ़ने पर ? जकरणी जलनेति का प्रयोग करें