मास: पौष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – मार्गशीर्ष)
पक्ष: शुक्ल
तिथि: द्वितीया सुबह 08:04 तक तत्पश्चात तृतीया/li>
नक्षत्र: धनिष्ठा 16 जनवरी प्रातः 05:17 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग: सिद्धि रात्रि 08:23 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहुकाल: दोपहर 02:10 से शाम 03:33 तक
सूर्योदय: 07:19
सूर्यास्त: 18:15
दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
विशेष: विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा वैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सर्दी सहन न होने पर
👉🏻 कुछ लोगों को सर्दी सहन नहीं होती …थरथराते हैं, दांत आपस में टकराते हैं, हाथ कांपते हैं l
👉🏻 वे लोग कड़ाही में थोड़ा सा घी डालदें और फिर उसमे गुड़ गला दें l जितना गुड़ उतना सौंठ डालदें l थोड़े से घी में गला के सेंक दिया l एक-एक चम्मच खाने से सर्दी झेलने की ताकत आ जाएगी l सुबह शाम चाट लें l
👉🏻 राई पीसके शहद के साथ पैरों के तलवों में लगादें तो भी सर्दी में ठिठुरना बंद हो जायेगा l
🌷 व्यतिपात योग
🙏🏻 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
🙏🏻 वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
🙏🏻 व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्यदेव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
💥 विशेष ~ 15 जनवरी 2021 शुक्रवार को रात्रि 08:24 से 16 जनवरी, शनिवार को रात्रि 07:12 तक व्यतिपात योग है।