तिल स्निग्ध, गर्म, वायु को शांत करने वाला, कफ-पित्त, पचने में भारी, तेजबुद्धि और जठर, त्वचा, बालों और दांतों के लिए लाभकारी होता है। (अष्टांगहृदय, सुश्रुत संहिता) तिल लाल, सफ़ेद व काले - तीन प्रकार के होते हैं । तिल में लौह, प्रोटीन, मैग्नेशियम, ताँबा एवं विटामिन ए, बी-1, बी-6 आदि पाए जाते हैं।
तिल को पीसकर तैयार किये गए उबटन से स्नान करने से वायु का शमन होता हैं
तिल के स्वादिष्ट व लाभदायक व्यंजन
(1) तिलकुट :
लाभ : इसके सेवन से वीर्य तथा रस-रक्तादि की वृद्धि व वात का शमन होता है । जिन व्यक्तियों को, विशेषतः वृद्धजनों को शीतकाल में बार-बार पेशाब आता है, उनके लिए भी यह लाभदायी है ।
विधि : एक कटोरी तिलों को धीमी आंच पर 3-4 मिनट तक भून लें। ठंडा करने के बाद उसको पीस लें । फिर उसमे मिश्री या गुड़ मिला ले । स्वाद के लिए इलायची मिला ले ।
सेवन : 12 से 20 ग्राम तिल-कुट सुबह चबाकर ले ।
(2) तिल की चटनी :
एक कटोरी सफेद या काले तिल को धीमी आंच में भून ले। उसमे 25 कढ़ी पत्ते, थोड़ा लाल मिर्च और स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर मोटा पीस ले। इस चटनी को भोजन के साथ लेने से पाचन-तंत्र मजबूत होता है ।
नोट: तिल का सेवन सर्दियों में करना चाहिए। रात्रि में इसका सेवन न करें । पाचन में भारी होने के कारण इसका सेवन कम करे। गर्भवती महिलाओं को तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्म प्रकृति के लोगों को मिश्री के साथ कम मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए।