जो भी इस दुनिया मे महान लोग हुए और चिरस्मरणीय एवं दीर्घजीवी हुए हैं वे प्रायः ब्राह्ममुहूर्त में उठते थे। जो भोर में नही उठते उनके प्रातः काल के कार्य यथा ढंग से पूर्ण नही हो पाते, उसमे कुछ न कुछ कमी आ जाती हैं।
सुबह देर से उठने पर हमारे पास समय की कमी रह जाती हैं जिसके कारण हम कोई भी कार्य सही से नही कर पाते और दिन का बहुत सा समय ऐसे ही व्यतीत हो जाती हैं।
महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू जी का कहना था" सूर्य उदय होने से पहिले ही हमको बिस्तर का त्याग करने का अभ्यास करना चाहिए। सुबह उठने से धन, ज्ञान, स्वास्थ्य सबकी प्राप्ति होती हैं।
यदि आप जीवन मे कुछ विशेष करना चाहते हो और अपना जीवन नीरस नही बिताना चाहते हो तो अपने ह्रदय को प्रभात के बसंत कालीन वायु प्रवाह की तरह आनन्दोल्लास पूर्ण हो, आपकी धमनियों में झरझर गूंज करती हुई नदी की धारा की भांति शुद्ध रक्त की धारा प्रवाहित हो तो आपको ब्रह्ममुहूर्त में उठना शुरू कर देना चाहिए।
यदि आप पुष्प-फलादि के सौरभ से पूर्ण प्रातः समीरण को बढ़ाने वाली का सेवन करके अपने इस जीवन की तेजस्विता बढ़ाने की अभिलाषा रखते हों, तो खूब सुबह शय्या त्याग करने का अभ्यास करें।
यदि आप इस जीवन को सार्थक करना चाहते हो और निरोग रहने चाहते हो तो नियमित रूप से भोर में उठा करें। प्रातः कालीन स्वछ और शुद्ध हवा का सेवन करें और प्रभुजी का नाम लेकर बड़े ही उत्साह पूर्वक अपने कार्य में प्रवृत्त हों।
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Very nice jai Ho