बिल्व, बेल या बेलपत्थर, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है

By heygobind Date April 14, 2020

यदि किसी को पेट के विकार जैसे दस्त, संग्रहणी (स्प्रू), पेचिश, आमदोष, खूनी दस्त, खूनी बवासीर, कब्ज आदि में बेलफल बहुत ही लाभदायक होता हैं। बेल फल का शरबत अथवा इसके गूदे को सूखने के बाद बनाया गया चूर्ण उपरोक्त सभी विकारों को दूर करने में लाभदायक हैं। बेल का शरबत मानसिक, चक्कर आना व मूर्च्छा को भी दूर करता है और शरीर शीतलता व स्फूर्ति प्रदान करता है। शरबत बनाने की विधिः बेल के पके हुए के आधा किलो गूदे को दो लीटर पानी में बहुत धीमी आँच पर पकाना चाहिए। जब एक लीटर पानी रह जाये तो उसको छान लो। फिर उसके बाद उसमें दो किलो मिश्री की गाढ़ी चाशनी बनाकर उसको काँच की शीशी में भर लें। थोड़ा थोड़ा शरबत शीतल जल में मिलाकर दिन में एक या दो बार पीना चाहिए। विशेष सावधानीः पंचमी के दिन बेल खाने से कलंक लगता है।

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