रक्तस्राव और पांडुरोग कारण रक्त में हीमोग्लोबिन कम होने लग जाता हैं, उस लौह तत्व की पूर्ति के लिए पालक का प्रयोग किया जाता हैं , पालक में 1.3%, केले में 0.4% एम.जी. लौह तत्त्व होता है जबकि गुड़ में 11.4% एम.जी लौह तत्व पाया जाता है।
महिलाओं में अधिकतर लौह तत्व की कमी होती है। मासिक धर्म की गड़बड़ी के कारण लौह तत्व की कमी होती हैं। थोड़े से भूने हुए चने और गुड़ मिलाकर खाने से इस कमी को पूरा किया जाता हैं।
सुबह गुनगुने पानी में गुड़ मिलाकर खाली पेट लेने से बहुत फयदा होता हैं। भोजन के २ घंटे बाद दोपहर में भी लिया जा सकता हैं।
गुड़ चिक्की बहुत स्वादिष्ट होती है और ये काफी प्रचलित भी है। छिलके वाली मूँग की दाल में गुड़ मिलाकर खाना चाइये।
गुड़ में कैल्शियम पाया जाता हैं जिस कारण से बच्चों की हड्डी की कमजोरी एवं दंतक्षय में यह बहुत लाभदायक है। विकसित बच्चों के लिए यह अमृततुल्य है।
विटामिन बी भी गुड़ में पाया जाता हैं। इसमें इनासिटोल, पैन्टोथिनिक एसिड, सर्वोपरि है जो कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। आयुर्वेद में लिखा है कि मक्खन, मट्ठा और गुड़ खाने वाले को बुढ़ापा कष्ट नहीं देता।
पोटेशियम लाभकारी है जो गुड़ में मौजूद होता है और ये हृदयरोगों में लाभदायक होता हैं। यह पोटेशियम केले और आलू में भी पाया जाता है।
बहुत चीनी नुकसान करती हैं। इसलिए पिण्ड खजूर, गुड़, किशमिश आदि में स्थित प्राकृतिक शर्कराएँ फायदेमंद हैं।