कढ़ी पत्ता - मीठा नीम स्वादिष्ट, सुगंध और भूख बढ़ाने वाला होता हैं। कढ़ी पत्ता में फॉस्फोरस, विटामिन ए, बी कैल्शियम और लौह जैसे तत्व मिलते हैं। कढ़ी पत्ता के सेवन से दाँत, हड्डियाँ और बालों की जड़ें बहुत ही मजबूत होती हैं एवं आँखों की रौशनी भी बढ़ती है । कढ़ी पत्ता के नियमित सेवन से हमारा पाचन भी सही होता हैं, जिससे पेचिश दस्त, अजीर्ण, मंदाग्नि, गैस आदि जैसे रोगों व समस्याओं से भी आराम मिल जाता हैं । कढ़ी पत्ता को प्राय घरों में दाल, सब्जी आदि में छौंक देने से स्वादिष्ट बन जाता हैं, कढ़ी पत्ते के औषधीवाले गुण का लाभ भी हो जाता हैं । दाल सब्जी में आये कढ़ी पत्तों को फेंकना नहीं चाहिए बल्कि उसको चबा-चबाकर खाना चाहिए।
कढ़ी पत्तों को छाँव में सुखाकर और पीसकर उसका चूर्ण बना लेना चाहिए। इस प्रकार के चूर्ण के सेवन से अनेक प्रकार के रोग ठीक होते हैं। यदि हरी कढ़ी पत्ता उपलब्ध न हों तो इस चूर्ण को खाद्य पदार्थों जैसे - दाल, सब्जी आदि में मिलाकर भी खा सकते हैं । कढ़ी पत्ते की चटनी: कढ़ी पत्ते में पुदीना, अदरक, नींबू, सेंधा नमक, तिल अथवा मूँगफली आदि मिलाकर उसको सिलबट्टे या मिक्सी में पीसकर चटनी बनायें और भोजन के साथ सेवन कर सकते हैं । कढ़ी पत्ते की ये चटनी खाने में स्वादिष्ट, पाचक, पुष्टिदायाक और भोजन में रुचि को बढ़ानेवाली होती हैं तथा उदर वायु (गैस) की तकलीफ को दूर करनेवाली है ।रक्त और बलवर्धन हेतुलाल रक्तकणों की वृद्धि और परिपक्वता के लिए प्रतिदिन हमें फॉलिक एसिड की जररूत होती है। कढ़ीपत्ता फॉलिक एसिड का बहुत ही बढ़िया समृद्ध स्रोत है, और इसके साथ कढ़ीपत्ता में लौह तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
प्रतिदिन 2 से 5 खजूर और 3 से 15 कढ़ी पत्तों को सुबह खाली पेट चबाकर खाने से रक्त की वृद्धि होती हैं । सर्दी के माह में खजूर व कढ़ी पत्ते की चटनी बनाकर खाना भी रक्त और बल वर्धन हेतु उत्तम है ।कढ़ी पत्ता विभिन्न स्वास्थ्य-समस्याओं में उपयोगी होता हैं
(1) हृदयरोगों एवं पेटदर्द, अफरे में: 250 मि.ली. पानी में 35 -45 कढ़ी पत्ते उबाल ले और इसमें नींबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट छान-कर पीने से बहुत ही जल्दी लाभ होता है ।
(2) मधुमेह: सूखे कढ़ी पत्तों का 2-3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सुबह और शाम नियमित लेने से यह मधुमेह में बहुत लाभ होता हैं।
(3) उच्च-रक्तचाप (hypertension): 6-7 कढ़ी पत्ते हररोज सुबह खाली पेट खाने से उच्चरक्तचाप में लाभ होता है ।
(4) कील मुँहासे व झाँइयाँ: कढ़ी पत्तों में एक प्रकार का तेल होता है जो त्वचा को सुंदर और स्वच्छ बनाता हैं । इनको पीसकर चेहरे पर लगाने से त्वचा की झाँइयाँ, कील-मुँहासे दूर हो जाते हैं । कढ़ी पत्तों का चूर्ण को रात को पानी में भिगोकर भी सुबह लगाया जा सकता है ।
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