अक्षय तृतीया …….अक्षय तृतीया सतयुग और त्रेतायुग की आरम्भ की तिथि मानी जाती हैं।

By heygobind Date April 23, 2020

मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों आदि ग्रंथों में वैशाख शुक्ल की तृतीया की बहुत  महिमा लिखी हैं। अक्षय तृतीया को किये गए पुण्य, जिसका कभी क्षय न हो, अक्षय और अनंत फलदायी होता हैं इसलिए इसको अक्षय तृतीया कहा जाता हैं। अक्षय तृतीया सतयुग और त्रेतायुग की आरम्भ की तिथि मानी जाती हैं। भगवान विष्णु जी द्वारा नर और नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण इसी दिन हुआ था। महाभारत का युद्ध भी अक्षय तृतीया के दिन शुरू हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन हर समय शुभ मुहूर्त होता हैं इसलिए इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन विवाह, ग्रह प्रवेश, वस्त्र आभूषण, वाहन आदि कार्य कर सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन किये जाने वाले कार्य प्रात:स्नान, पूजन, हवन अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करने से सभी तीर्थ का फल मिलता हैं, अगर कोई गंगा जी न भी जा सके तो गंगाजी का सुमरिन और मन ही मन गंगा जल से स्नान करने का पुण्य मिल जाता है।   स्नान करने के बाद ये प्रार्थना करनी चाहिए माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन । प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥ हे मधुसुदन, मुरारे वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! आज प्रात: स्नान का फल देनेवाले हो जाओ और मेरे पापों का नाश करों ।’ सूंदर पुष्प, धुप अगर दीप, चंदन अक्षत (साबुत चावल) आदि से श्री लक्ष्मी नारायण जी का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी हो जाता हैं। उपवास दान और जप का महत्व अक्षय तृतीया के दिन का उपवास, ध्यान और जप भी अक्षय फल देने वाले होते हैं। उस दिन थोड़ा हल्का भोजन करके उपवास भी रख सकते हैं। भविष्य पुराण ग्रन्थ के अनुसार उस दिन किया गया दान अक्षय हो  जाता हैं। इस दिन पानी के घड़े, पंखे जुटे चप्पल, छाता, जौ, अन्न वस्त्र आदि का दान दिया जाता हैं।   अक्षय तृतीया के दिन पितृ-तर्पण का महत्व व विधि – इस दिन पितृ-तर्पण करना भी बहुत शुभ होता हैं । पितरों के तृप्त होने से घर में सुख शांति समृद्धि व दिव्य संताने आती है। विधि : अक्षय तृतीया को अक्षत से श्री विष्णु जी और ब्रम्हाजी को तत्वरूप में घर में पधारने की प्रार्थना करनी चाहिए। अपने पूर्वजों का मानसिक रूप से आवाहन करके उनके चरणों में तिल, अक्षत और जल अर्पित करना चाहिए और धीरे से सामग्री को किसी पात्र में छोड़ देना चाहिए।  भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें । अक्षय तृतीया को अपने माता पिता, गुरुजनो आदि से आशीर्वाद लेना चाहिए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

top