नवरात्रि विशेष
कामिका एकादशी: गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्कार है !गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्कार है !
चीरहरण लीला और वरदान प्राप्ति…..अरुणोदय की बेला में प्रतिदिन एक साथ भगवान् के गुण को गाती हुई गोपियों का समूह श्री यमुनाजी में स्नान करने गयी.
फक्कड बाबा…एक फक्कड बाबा थे, किसी गाँव के बाहर वृक्ष के नीचे बैठे थे. दिखने में हट्टे-कट्टे थे. बाबा बोले जा रहे थे
स्वस्तिक की महिमा….ध्यान के लिए पूजाघर और मन की शांति के लिए स्वस्तिक अवश्य बनाए तथा उसके सामने आसन बिछाकर बैठे.
उत्कट अभिलाषा | कोई हमारे घर पर आता है तो हम उसके लिए अच्छे पकवान दाल चावल पूरी हलवा आदि सब कुछ तो दे सकते है
पांच प्रेत…पृथु एक भक्त ब्राम्हण था। वह रोज हरिभक्ति में तल्लीन रहता था। वह प्रभुजी को बहुत प्रेम करता था
मुक्ति जैसे स्वप्न हमारे अन्तर्गत था , ऐसे ही संसार हमारे अन्तर्गत है ! आँख खुलते ही सब स्वप्न गायब !
नटखट कान्हा को रंगे हाथ पकड़ने के लिए एक बार एक गोपी ने एक तरकीब निकाली।
कामदा एकादशी – चैत्र शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी।