किसी स्कूल की बात हैं। दोपहर का समय था। हिंदी की कक्षा चल रही थी, सभी बच्चे बढ़े ही ध्यान से अध्ययन कर रहे थे। लेकिन अचानक ही एक उदंडी बालक ने एक शरारत कर दी। उस बालक ने शरारत के रूप में स्टोर रूम में कुछ पटाखें में आग लगा दी। लेकिन देखते-देखते ही उसकी इस शरारत ने एक भयानक रूप ले लिये। स्टोर रूम में आग फैलने लग गयी। और उसमें रखे सारे फनीचर और सामान जलने लगा। चारों ओर आग लग गयी।
सभी लोग और विद्यार्थी उस आग को बुझाने के लिए लग गए। जो भी बर्तन मिला उसमें पानी लेकर आग को बुझाने लग गए।
काफी देर के बाद आग कुछ शांत हुई। जब पूरी तरह से आग खत्म हुई तो सब स्टोर रूम में गए। सभी लोगों ने स्टोर रूम के छज्जे में देखा कि एक पक्षी कोयला बना हुआ हैं।
पक्षी को देखकर लगता था कि वह पक्षी उड़ तो सकता था पर वो उड़ा नही। ओर वो पक्षी अपनी मर्जी से जल कर भस्म हो गया। सभी को बहुत ही आश्चर्य हुआ।
एक विद्यार्थी ने जले हुए पक्षी को हटाया तो उसमें से तीन नवजात चूजे दिखाई दिए गए जो सब कुशल से थे। अब सबको अच्छे से समझ आ गया था कि अपने छोटे छोटे बच्चों को बचाने के लिए इस पक्षी ने अपनी जान दे दी
उसने थोड़ा सा भी अपने बचने की कोशिश नही किया और उस अग्नि की आहुति बन गयी।
एक विद्यार्थी ने गुरूजी से पूछा -
"गुरुजी इस पक्षी को अपने इन्ह बच्चो से बहुत मोह होगा तभी तो उनके मोह में इसने अपनी जान दे दी?"
गुरूजी ने कहा -
"नहीं ऐसा नही हैं
यह कोई मोह नहीं है बल्कि एक माँ के ममत्व की उच्च पराकाष्ठा है, मोह करने वाला ऐसी भयानक स्थिति में तो अपनी जान बचाता और कब का भाग जाता।"
उस ईश्वर ने माँ को ममता दी है और इस दुनिया में माँ की ममता से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
*🙏 प्यारी माँ 🙏*