एक समय कान्हा गौशाला में खेल रहे थे।
गौशाला में एक गोपी गोबर के तसले भरकर बार-बार ले जा रही थी, गोबर के उपले बनते है और फिर उन्हीं पर फिर रसोई बनती है।
गोपी कान्हा से बोली " कन्हैया ! नेक मेरो यो तसला तो सिर पर रखवाय दे।
कान्हा "अरी ओ गोपी! मै काय धरवाऊ, तू आपसे रख ले ना। एकतो मेरी शिकायत मोरी मैईया से करती है और अब काम भी करवाती है।
गोपी बोल...
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