बच्चे पेड़ में चढ़ने की कोशिश करते हैं, तो आप क्या करोगे? आप तत्काल ही डर जाओगे और आप सोचोगे की कई ये न हो की वह गिर जाए, ये भी हो सकता हैं की वह अपना पैर न तुड़वा ले, और कुछ भी गलत हो सकता हैं।
आप अपने भय को भागते हो और उस पेड़ पे चढ़ते हुए बच्चे को रोक लेते हो। यदि आपने ये जान लिया होता की पेड़ में चढ़ने का कितना आनंद हैं तो तुम उस बच्चे की पढ़ में चढ़ने में मदद करते और आपकी मदद से वह बच्चा उस पेड़ में चढ़ जाता।
अपने डर को भगाओ और उसकी मदद करो जाओ और उसे सिखाओ। आप भी उसके साथ उस पेड़ में चढो। और उसकी मदद करो की कई वो गिर न जाये. आपका ये डर ठीक हैं – ये आपके प्रेम को दर्शता हैं की कई उस बच्चे को कोई नुकसान न हो जाए। लेकिन यह प्रेम उस बच्चे के विकास में बाधक हैं। हो सकता है की वह बच्चा गिर जाए। लेकिन उस बच्चे को उस पेड़ पर चढ़ने से रोक लेना उस बच्चे के विकास को रोकना हैं। पेड पर चढ़ जाने से कुछ भी खास नहीं होता। लेकिन यदि उस बच्चे ने यह सब कभी भी नही किया हो, वह किसी न किसी अर्थ में गरीब रह जाएगा, वह बच्चा अपने पुरे जीवन के लिए कुछ न कुछ समृद्धि से चूक जाएगा। आप उस बच्चे को उस बहुत ही सुंदर बात से वंचित कर रहे हो, और उसे जानने का कोई अन्य मार्ग नहीं है! इस सुख से वंचित रह जाने से तो अच्छा हैं कभी - कभार, पेड़ पर से गिर जाना इतना बुरा भी नही है।
बच्चे घर से बाहर बरसात में जाना चाहते हैं और बरसात में गली के चारो और दौड़ना चाहते हैं, आप डर जाते हो की कही उस बच्चे को सर्दी न लग जाए या कोई अन्य बीमारी निमोनिया आदि ना हो जाए या और कुछ जो आपको भयभीत करता हो! लेकिन सही दृष्टिकोण में आप कुछ ऐसा करो की वह सर्दी के प्रति और अधिक प्रतिरोधी हो जाए। उसको किसी डाक्टर के पास ले जाओ; डाक्टर को कहो कि उसको कौन सा विटामिन्स दे की वह बरसात में दौड़ सके और आनंद ले सके, नाच सके। वहां सर्दी होने का कोई भय ना रहे या निमोनिया नहीं होगा। लेकिन उसको रोको मत। उसको बरसात में गली में दौड़ने से रोको मत, उसको बरसात का आनंद लेने दो! यदि वह इस प्रकार की किसी बात से चूक गया तो वह किसी बहुत ही मूल्यवान बात से चूक जायेगा।
यदि आप प्रसन्नता को जानते हो और यदि आप सचेत हो, आप यह महसूस कर सकते हो कि वह बच्चा क्या महसूस कर रहा होगा।